एक कॉल
जान हथेली पे रख के वो चल दिए
तुफानो से भी आँख लड़ाने..
वो चल दिए
दुश्मनों को अपनी औकात दिखाने...
आज की कहानी सोल्जर के नाम..
चलिए शुरू करते हैं..
घंटो वो इंतज़ार मैं यूँ
बैठा करती हैं.
सुन ने को आवाज़
उनकी वो तरसा करती हैं..
जब भी रिंग बजती
कॉल उठाने को
वो भागा करती हैं...
एक कॉल ही तो हैं..
जो उसकी जान म जान लेता है
एक कॉल ही तो हैं..
जो उसके डर को भगाते हैं
एक कॉल ही तो हैं..
जो उससे मेहफ़ूज़ उसके होने
का एहसास कराता है
कब आओगे वापस नम आँखों से
बस वो एक ही सवाल पूछा करती हैं...
जल्दी आऊंगा जरूर आऊंगा
बस वो यही हमेशा वादा करते है..
वो कभी कभी
हफ्तो कॉल पे भी न आते
दूर परिवार से हो जाते...
देश की रक्षा को
वो महीनो घर न लौट के आते...
बेटी की एक मुस्कान बेटे की हसी
माँ की ख़ुशी पापा की आवाज़
अर्धांगिनी का प्यार
बस यही थकान को उनकी
मिटा देता हैं..
उनकी चमक उनके जज्बे को
लौटा देता हैं..
आज फिर वो निगाये टिकाये
बैठी थी फ़ोन पे..
पर आज कुछ अलग सा इंतज़ार था
आँखों में
दिल सहमा सा था...
अजीब सा यह कुछ एहसास था..
कुछ खोने का जो डर था
आखिर उसके इंतज़ार का
सिलसिला खत्म हुआ..
कॉल की रिंग बज उठी
पल भर में वो बिखर सी गयी
पल भर में उसका डर उसकी बेचैनी
हकीकत बन गयी
सहादत की जो खबर आई है
एक कॉल जो उसकी बेचैनी
को दूर करता था...
आज वो कॉल उसके डर को
सच कर गया...
उसे हमेशा के लिए
उस से दूर कर गया..
काश आज कॉल न आता..
आखिर मैं बस इतना सा कहना है
वो थामे हथियार
लड़ते रहे सरहद पे..
मिटटी की शान बचाने
माँ की आन बचाने
वो कुर्बान हुए फिर एक बार
क़र्ज़ चुकाने फ़र्ज़ निभाने...
Jai hind jai bharat....
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